उत्तराखंड में 3 हज़ार से अधिक सरकारी स्कूल होंगे बन्द, जाने क्या है स्कूल बंद करने की वजह।
देहरादून– उत्तराखंड में शिक्षा विभाग पर्वतीय क्षेत्रों के स्कूलों में 5 और मैदानी क्षेत्रों के स्कूलों में 10 से कम की संख्या वाले स्कूलों को समायोजित करने जा रहा है ऐसे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को नजदीक के उत्कृष्ट स्कूलों में भेजा जाएगा जबकि उन स्कूलों कि भोजन माताओं को भी उत्कृष्ट स्कूलों में समायोजित किया जाएगा इसके लिए शिक्षा महानिदेशक ने 15 जुलाई 2023 तक ऐसे स्कूलों को चिन्हित करने का आदेश दिया है लेकिन शिक्षा विभाग के इस फैसले पर विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं विपक्ष का कहना है कि सरकार गरीबों से उनका शिक्षा का हक छीन रही है।
उत्तराखंड के पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में पड़ने वाले ऐसे स्कूलों को समायोजित करने जा रही है जिसमें बच्चों की संख्या 5 या 10 से कम है उत्तराखंड के शिक्षा महानिदेशक ने राज्य के ऐसे सभी स्कूलों को इंगित करने के निर्देश दिए हैं जिनमें बच्चों की संख्या पर्वतीय क्षेत्रों के स्कूलों में 5 से कम और मैदानी क्षेत्रों के स्कूलों में 10 से कम हो ऐसी सभी स्कूलों और स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या को चिन्हित कर शिक्षा विभाग को 15 जनवरी 2023 तक अवगत कराने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं, शिक्षा विभाग की तरफ से कहा गया है कि इन सभी स्कूलों को नजदीक के ही किसी उत्कृष्ट स्कूल में मर्ज कर दिया जाएगा साथ ही जिन स्कूलों को समायोजित किया जाएगा उन में काम करने वाली भोजन माताओं को भी उत्कृष्ट स्कूलों में ही भेजा जाएगा उत्तराखंड के शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी का कहना है कि स्कूलों को समायोजित करने का यह फैसला शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए है उन्होंने कहा कि भविष्य में समायोजित किए गए स्कूल के लिए बच्चों की संख्या में इजाफा होता है तो उन्हें दोबारा भी शुरू किया जा सकता है।
शिक्षा विभाग की तरफ से स्कूलों को समायोजित करने की जो बात की जा रही है उस पर विपक्ष भी सवाल उठा रहा है नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्रों में पढ़ने वाले बच्चों के माता पिता की आर्थिक स्थिति इतनी बेहतर नहीं होती कि बच्चों को किसी प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया जा सके यही कारण है कि वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाते हैं उन्होंने कहा कि सरकार अगर उन स्कूलों को ही बंद करा देगी तो इससे उन बच्चों के हक को कहीं ना कहीं सरकार छीनने का काम कर रही है।
सरकारी स्कूलों के समायोजन को लेकर भाजपा का कहना हैं कि सरकार स्कूली बच्चों को कोई दिक्कत नहीं होने देगी 5 किलोमीटर से ज्यादा के दायरे में अगर दूसरा स्कूल नहीं होगा उस स्कूल का समायोजन भी नहीं किया जाएगा सर कार्यस्थल पर कई फार्मूले पर काम किया जा रहा है समायोजन स्कूल में बच्चों की संख्या और उनकी सहूलियत के हिसाब से किया जाएगा।