भाई-बहन के स्नेह व सौहार्द का प्रतीक त्योहार भाई दूज आज, जानिए शुभ मुहर्त कब तक है।,
देहरादून– मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को भैयादूज की शुभकामनाएं दी।
भाई-बहन के स्नेह व सौहार्द का प्रतीक त्योहार भाई दूज बुधवार को मनाया जाएगा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई को घर बुलाकर या उनके घर जाकर उन्हें तिलक करके खाना खिलाती हैं।
दीपावली के दो दिन बाद मनाये जाने के कारण इसे यम द्वितीया (गोधन भी कहते हैं) भी कहा जाता है। इस दिन यम देव की पूजा भी की जाती है। भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी और सुखी जीवन की प्रार्थना करती हैं।
भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस बार भाई दूज की तिथि और शुभ मुहूर्त को लेकर लोगों में काफी कन्फ्यूजन है।
दिवाली का पूरा हफ्ता त्योहारों में बीतता है. धनतेरस से शुरू हुए त्योहार भाई दूज के साथ खत्म होते हैं. पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि पर भाई दूज मनाया जाता है. भाई दूज ऐसा पर्व है जिसमें बहनें अपने भाई को तिलक करती हैं और उसे सूखा नारियल देती हैं।
भाई दूज भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इससे यमराज और मां यमुना की पौराणिक कथा जु़ड़ी हुई है।
कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया तिथि 14 नवंबर 2023 को दोपहर 02:36 बजे से शुरू हो रही है और इसका समापन 15 नवंबर 2023 को दोपहर 01:47 बजे होगा,उदया तिथि के हिसाब से भाई-बहन का त्योहार भाई-दूज 15 नवंबर बुधवार को मनाया जाएगा।
भाई दूज पर वैसे तो राहुकाल को छोड़कर बहनें कभी भी भाई को तिलक कर सकती हैं. लेकिन अगर अतिशुभ समय की बात करें तो ये सुबह 06:44 से 09:24 बजे तक है, इस दिन राहुकाल दोपहर 12:03 से 01:24 बजे तक रहेगा।
भाई दूज के दिन भाई को तिलक करने से पहले यमराज और मां यमुना का ध्यान करना शुभ माना जाता है. इसके बाद भाई के माथे पर तिलक और चावल लगाया जाता है और उसे मिठाई खिलाई जाती है. इस दौरान बहनें भाई को सूखा नारियल देती हैं और भाई बहन को उपहार देते है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज और मां यमुना दोनों ही सूर्यदेव की संताने हैं. अरसों बाद जब यमराज बहन यमुना से मिलने पहुंचे तो उन्होंने भाई के लिए ढेरों पकवान बनाएं, मस्तक पर तिलक लगाया और भेंट में नारियल दिया. इसके बाद यमराज ने बहन से वरदान में उपहार स्वरूप कुछ भी मांग लेने के लिए कहा जिसपर मां यमुना ने कहा कि वे बस ये विनती करती हैं कि हर साल यमराज उनसे मिलने जरूर आएं. इसी दिन से भाई दूज मनाए जाने की शुरूआत हुई. माना जाता है कि भाई दूज के दिन ही यमराज बहन यमुना से मिलने आते हैं।
जब भी तिलक करें तो ध्यान रखें कि तिलक कराते हुए भाई का मुंह उत्तर या उत्तर-पश्चिम में से किसी एक दिशा में होना चाहिए और बहन का मुंह उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
भाई को तिलक करने से पहले तक बहन को व्रत रखना चाहिए. आपकी निष्ठा, प्रेम और समर्पण से भगवान भी प्रसन्न होते हैं और आपके व भाई के बीच का रिश्ता अच्छा बना रहता है. बहन को तिलक करने के बाद ही अपना व्रत खोलना चाहिए।
तिलक करने के बाद भाई को मिष्ठान जरूर खिलाएं. बहन को भाई को अपने हाथों से मिष्ठान खिलाना चाहिए. ऐसा करना शुभ माना जाता है. साथ ही हर भाई अपनी बहन को आज के दिन सामर्थ्य के अनुसार कुछ न कुछ उपहार जरूर दें।
तिलक के दौरान भाई या बहन, किसी को भी काले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए. शास्त्रों में शुभ कार्यों के दौरान काले वस्त्र पहनने की मनाही है।