सरकार के रसूक्दारों व सत्ताधारी दल के नेताओं के संरक्षण में फल फूल रहे भू माफिया, ग्रामीणों की जमीन पर बना दी नगर निगम व पीडब्ल्यूडी ने फर्जी एमओयू पर सड़क, सरकार करे तत्काल एसआईटी का गठन और दोषी अधिकारोयों को निलंबित।

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देहरादून– उत्तराखंड में 2017 में सत्तारूढ़ होने के बाद से लेकर अब तक त्रिवेंद्र सिंह रावत और फिर वर्तमान मुख्यमंत्री के सात सालों के कार्यकाल में उत्तराखंड में भू माफियाओं की पौ बारह हो रही है और सरकार के मंत्रियों व नेताओं के संरक्षण में भू माफियाओं की इतनी हिम्मत हो गयी है कि वे अधिकारियों से मिल कर फर्जी एमओयू बना कर ग्रमीणों की भूमि पर पांच सितारा होटल के लिए सरकारी खर्च पर पक्की सड़क निर्माण करवा रहे हैं, यह आरोप आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में लगाया। उन्होंने कहा कि दानियों के डांडा गांव के ग्रामीणों ने उक्त मामले में जब सरकार शाशन प्रशासन को अनेकों बार प्रर्थनापत्र दे कर शिकायत की तो उनके मामले को अनसूना कर दिया गया और तब हारकर ग्रामीणों ने अपनी जमीन बचाने के लिए राज्य सूचना आयोग की शरण ली और वहां अपील दायर की जिस पर सुनवाई के दौरान को तथ्य सामने आए वे हैरान करने वाले हैं। धस्माना ने कहा कि सुनवाई में यह तथ्य आया कि ओल्ड मसूरी रोड से दानियों के डांडा में ग्रामीणों द्वारा अपने निजी उपयोग के लिए इस्तेमाल की जा रही सड़क जो ग्रामीणों की भूमि है उस के संबंध में नगर निगम देहरादून व लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड देहरादून ने एक एमओयू किया जिसके अनुसार ओल्ड मसूरी रोड से हयात होटल तक सरकारी खर्चे पर सड़क बनाई जा रही है । लोक निर्माण विभाग इस सड़क पर करोंङों रुपये की राशि लगा चुका है व अभी भी करोंङों रुपये की लागत से पुश्ता निर्माण किया जा रहा।  धस्माना ने कहा कि नगर निगम अपनी सूचना में इस बात को स्वीकार कर चुका है कि जिस भूमि पर सड़क निर्माण हो रहा है वह नगर निगम की नहीं है और राजस्व अभिलेख में वह भूमि ग्रामीणों की है। धस्माना ने कहा कि आश्चर्य जनक बात यह है कि जब ग्रामीणों ने उक्त सड़क के निर्माण की मांग की ही नहीं तो लोक निर्माण विभाग किस के कहने पर और किसके लिए सरकारी पैसे से यह सड़क बना रहा है। दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि जब नगर निगम यह स्वीकार कर चुका है कि भूमि उसकी नहीं है तो किसके कहने पर यह एमओयू बनाया गया जिसका नगर निगम को अधिकार प्राप्त ही नहीं था। तीसरा रोचक बिंदु यह है कि 29 सितंबर की सुनवाई में एमओयू हस्ताक्षर करने वाले अधिशाषी अभियंता नगर निगम ने अपने हस्ताक्षर ही संदिगध बता दिए है। धस्माना ने कहा कि यह पूरा प्रकरण देहरादून में चर्चित भूमि घोटाले जैसा है और इसलिए इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। धस्माना ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को तत्काल एसआईटी जांच बैठा कर फर्जी एमओयू करने वाले , सड़क निर्माण करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करनी चाहिए व इस पूरे प्रकरण में कौन वो प्रभावशाली व्यक्ति है जिसके इशारे पर इतना बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा है इसका खुलासा जनता के समक्ष होना चाहिए।

धस्माना ने कहा कि वे शीघ्र जार्ज एवेरेस्ट के मामले में हुए महा घोटाले पर भी खुलासा करेंगे और मसूरी में जार्ज एवेरेस्ट की 800 बीघा जमीन बाहरी लोगों को औने पौने किराए में लीज़ पर देने के विरुद्ध  बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेंगे।

Rupesh Negi

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