रुड़की के बेलड़ा गांव में गुस्साए किसानो ने क्यों चकबन्दी अधिकारियों को बैरंग लौटाया।

रुड़की के बेलड़ा गांव में गुस्साए किसानो ने क्यों चकबन्दी अधिकारियों को बैरंग लौटाया।
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हरिद्वार –रुड़की के बेलडा गांव में भूमि की चकबंदी करने गई चकबंदी विभाग की टीम को किसानों का भारी गुस्सा झेलना पड़ा आलम यह रहा कि पुलिस के सामने ही किसानों के दो पक्ष आपस मे भीड़ गए जिनमे तीखी नोकझोंक हुई।इस दौरान मौके पर अफरातफरी मच गई।हंगामा बढ़ते देख पुलिस को भी सख्ती दिखानी पड़ी। तब जाकर मामला शांत हुआ।

दरअसल रुड़की चकबंदी विभाग की टीम पुलिस को लेकर बेलड़ा गांव में चकबन्दी करने पहुंची थी जहां किसानों के एक पक्ष का आरोप है कि चकबंदी विभाग द्वारा बस्ता दो वर्ष पूर्व जमा हो गया था,जिन्हें अब चकबंदी करने का कोई अधिकार नही है केवल तहसील के कर्मचारी ही चकबंदी कर सकते हैं, वहीं सुरक्षा की दृष्टि से मौके पर भारी पुलिस बल तैनात रहा।

 

दरअसल रुड़की तहसील के बेलडा गांव में चकबंदी विभाग द्वारा बुधवार को पैमाईश शुरू की गई तो मौके पर किसानों ने आकर हंगामा शुरू कर दिया, किसानों का आरोप था कि गांव में करीब 2 साल पहले चकबंदी विभाग द्वारा सभी खेतों की पैमाइश कर बस्ते तहसील में जमा कर दिए गए थे, किसानों का कहना है कि जब दो वर्ष पूर्व सभी चको की पैमाइश कर दी गई थी तो अब दोबारा से चको की पैमाइश करने की अधिकारियों की क्या मंशा है, उन्होंने कहा कि अगर पैमाईश की जानी आवश्यक है तो उसे तहसील की टीम द्वारा करनी चाहिए न कि चकबंदी विभाग द्वारा किसानों का आरोप है कि चकबंदी की टीम में शामिल कर्मचारी नियमानुसार एक सिरे से पैमाईश को न करके बीच खेत से पैमाईश कर रहे हैं, वहीं किसानों का आरोप था कि इस टीम में जो अधिकारी शामिल हैं उनके खिलाफ भूमि घोटाले में मुकदमा दर्ज है, वहीं अधिकारियों पर भूमाफियाओ के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है, इस दौरान दूसरे पक्ष के भी किसान मौके पर पहुंच गए, इस दौरान दोनों पक्षों के बीच तीखी नोक-झोंक होती रही, वहीं मौके पर तैनात पुलिसकर्मी हंगामा कर रहे लोगों को शांत करते नज़र आए।

 

वहीं इस मामले में चकबंदी विभाग के कानूनगो बंगाल सिंह का कहना है कि पैमाईश तहसील और चकबंदी विभाग की संयुक्त टीम द्वारा की जा रही है, दो वर्ष पहले हुई पैमाईश में जो हिस्सा छूट गया था उसकी ही पैमाईश की जा रही है, उन्होंने कहा कि केवल पैमाईश की जा रही है कब्जो की फेर बदल नही।

Rupesh Negi

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