बीजीपी विधायक महेश नेगी के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले का हाइकोर्ट न किया निस्तारण।
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने द्वाराहाट अल्मोड़ा से बीजेपी के निवार्चित विद्यायक महेश नेगी के खिलाफ यौन उत्पीड़न करने के मामले में दायर दो अलग अलग याचिकाओ पर एक साथ सुनवाई की। कोर्ट ने विधायक की तरफ से दायर याचिका में सुनवाई करते हुए उसे अंतिम रूप से निस्तारित कर दी। पूर्व में सरकार से इस मामले में जाँच रिपोर्ट पेश करने को कहा था जिसमे आज जाँच अधिकारी द्वारा अंतिम जाँच रिपोर्ट पेश की। जाँच में विधायक के खिलाफ रेप करने की पुष्टि नही हुई। इस आधार पर कोर्ट ने उनकी याचिका को निस्तारित कर दिया। वहीं पीड़िता की तरफ से दायर केस में कोर्ट ने सरकार व विधायक से 13 जनवरी तक शपथपत्र पेश करने को कहा है । मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी की तिथि नियत की है। आज मामले की सुनवाई न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ में हुई।
पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान पीड़िता द्वारा कोर्ट को अवगत कराया गया था कि अभी तक डीएनए रिपोर्ट पेश नही की गई है। पीड़िता की तरफ से यह भी कहा गया कि नेगी की डीएनए जाँच कराई जाए क्योंकि वे ही मेरी बेटी के पिता है। जाँच में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि कई जगहों पर विधायक उनके साथ रहे है। उनको पूर्व में दिया गया स्टे ऑर्डर को भी निरस्त किया जाय। सरकार जानबूझकर इस मामले को लंबित कर रही है।
मामले के अनुसार पीड़िता ने 6 सितम्बर 2020 को नेहरू कालोनी देहरादून में एक प्रार्थरना पत्र देकर कहा था कि विधायक महेश नेगी ने उनका यौन शोषण किया है अब दोनों पति पत्नी उसे जान से मारने की धमकी दे रहे है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इस मामले जाँच कर रहे दो आईओ को भी सरकार ने बदल दिया है क्योंकि विधायक सत्तारूढ़ पार्टी का विधायक है इसलिए मामले की जाँच सीबीआई से कराई जाए। याचिकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि देहरादून पुलिस इस मामले की जांच करने में पक्षपात रवैया अपना रही है सही तरीके से जांच भी नही कर रही है।जबकि उसके पास विधायक के सभी कारनामो की रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है।