महाशिवरात्रि पर्व पर टपकेश्वर महादेव मंदिर में उमडा श्रद्धालुओं का सैलाब, केदारनाथ धाम के दर्शन करने से पहले कोटेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करने से सात जन्मो के पापों से मुक्ति।
देहरादून- महाशिवरात्रि के मौके पर राजधानी देहरादून के टपकेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ नज़र आई। रात 12 बजे के बाद से ही शिवालय में भक्त जलाभिषेक के लिए उमड़ने लगे। कोरोना के चलते बंद पड़े मंदिरों में लगभग दो साल बाद रौनक नजर आ रही है। मंदिर में परिवार के साथ पूजा करने पहुंचे मंत्री गणेश जोशी ने सभी को महाशिवरात्रि पर्व की बधाई दी है। वहीं मंदिर के मुख्य महंत का कहना है कि देश प्रदेश के भीतर सुख शांति बनी रहे, इसकी कामना महादेव से की है। वहीं आम जनता से अनुरोध है कि महादेव का जलाभिषेक करते वक्त यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग के भी जल्द समाप्त होने की कामना करे। जिससे न जाने कितने लोग अकाल मौत का शिकार हो रहे है। दूसरी तरफ महादेव की पूजा अर्चना करने के बाद भक्त भी खासे उत्साहित है। महाशिवरात्रि पर्व पर जिले के शिवालयों में सुबह से भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है।
भक्त भगवान शंकर का जलाभिषेक करने के साथ ही पूजा-अर्चना कर मन्नतें मांग रहे हैं। मंदिरों में उमड़ी भीड़ की सुरक्षा को लेकर पुलिस के जवान भी तैनात किये गये हैं, जो साथ ही सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने के लिए भी कह रहे हैं। वहीं पहली बार देखने को मिला कि रुद्रप्रयाग के कोटेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, जिससे लग रहा है कि दो साल तक कोरोना महामारी के कारण मठ-मंदिरों से दूर रहने वाले श्रद्धालुओं के सब्र का बांध टूट गया है।
बता दें कि आज भगवान शंकर का प्रसिद्ध त्यौहार है। जनपद देहरादून, हरिद्वार, रुद्रप्रयाग कोटेश्वर, उमरानारायण, रुद्रनाथ, सूर्यप्रयाग, विश्वनाथ मंदिर, त्रियुगीनारायण सहित केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में भक्तों की सुबह से भीड़ उमड़ रही है। खासकर इस बार जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से तीन किमी की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध शिवालय कोटेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। यहां पांव रखने के लिए भी जगह नहीं है। कोटेश्वर मंदिर गुफा में अनगिनत छोटे-छोटे शिवलिंग हैं, जिन पर जल चढ़ाकर श्रद्धालु मन्नतें मांग रहे हैं। कोटेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण 14विं शताब्दी में किया गया था। इसके बाद 16वीं और 17 वीं शताब्दी में मंदिर का पुनः निर्माण किया गया था। गुफा के रूप में मौजूद यह मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित है। मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने केदारनाथ जाते समय इस गुफा में साधना की थी और यह मूर्ति प्राकृतिक रूप से निर्मित है। गुफा के अन्दर मौजूद प्राकृतिक रूप से बनी मूर्तियां और शिवलिंग यहां प्राचीन काल से ही स्थापित हैं। मंदिर के बाहर बहती अलकनंदा नदी का मनमोहक दृश्य श्रद्धालु और पर्यटकों को अपनी ओर लुभा रहा है। महाशिवरात्रि पर्व पर इस बार कोटेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ी हुई है। दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान के दरबार में पहुंच रहे हैं। श्रद्धालु ने कहा कि ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि कोटेश्वर मंदिर में इतनी भीड़ उमड़ रही है। दो साल तक कोरोना महामारी के कारण मठ-मंदिरों में लोग जाने से डर रहे थे, मगर इस वर्ष श्रद्धालु बेफिक्र होकर मंदिरों में जा रहे हैं। वहीं श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस और एसडीआरएफ के जवान भी तैनात किये गये हैं। एसडीआरएफ के एसआई करण सिंह ने बताया कि एसडीआरफ के जवान श्रद्धालुओं को नदी में जाने से रोक रहे हैं। साथ ही भीड़ पर भी नियंत्रण किये हुए हैं। लोगों को सोशल डिस्टेसिंग के तहत भगवान शंकर के दर्शन करवाये जा रहे हैं।
कोटेश्वर महादेव मंदिर की विशेषता –
रुद्रप्रयाग। कोटेश्वर महादेव मंदिर के बारे में यह कहा जाता है कि भगवान शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए इस मंदिर के पास मौजूद गुफा में रहकर कुछ समय बिताया था। भस्मासुर ने शिवजी की आराधना करके ये वरदान प्राप्त किया था कि जिसके सिर पर भी वो हाथ रख देगा, वो उसी क्षण भस्म हो जायेगा। भस्मासुर भी बड़ा तेज था। इस वरदान को आजमाने के लिए उसने भगवान शिव को ही चुना। फिर क्या था शिवजी आगे-आगे और भस्मासुर उनके पीछे-पीछे पड़ने लगा। कोटेश्वर महादेव मंदिर के बारे में यह कहते हैं कि भस्मासुर से बचने के लिए शिवजी ने कोटेश्वर महादेव मंदिर के पास स्थित इस गुफा में रहकर कुछ समय बिताया था। बाद में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके भस्मासुर का संहार करते हुए शिवजी की सहायता की थी। लोगों का यह भी मानना है कि कौरवों की मृत्यु के बाद जब पांडव मुक्ति का वरदान मांगने के लिए भगवान शिव को खोज रहे थे, तो भगवान शिव इसी गुफा में ध्यानावस्था में रहे थे। मंदिर की यह मान्यता है कि केदारनाथ धाम के दर्शन करने से पहले कोटेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन कर लेने से सातों जन्म के पापों से मुक्ति मिल जाती है।