मंकीपॉक्स बीमारी किस तरह से फैलती है, 99% तक मामले इस कारण आये हैं।

मंकीपॉक्स बीमारी किस तरह से फैलती है, 99% तक मामले इस कारण आये हैं।
Spread the love

मंकीपॉक्स, बीमारी का नाम सुनते ही लगता है कि ये बीमारी बंदरों से फैलती होगी, लेकिन ऐसा नहीं है। इस महामारी के इस साल जो केस आएं हैं करीब-करीब सभी केस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति ही फैले हैं। स्टडी में सबसे अजीब बात ये सामने आई है कि मंकीपॉक्स के 95-99% तक मामले गे या फिर बाइसेक्शुअल लोगों में आए हैं। हमने मंकीपॉक्स पर काम कर रहे दो दिग्गज डॉक्टर्स से बात की है।

IMA कोविड टास्क फोर्स के को-चेयरमैन डॉ राजीव जयदेवन ने बताया कि मंकीपॉक्स महामारी गे / बाइसेक्शुअल लोगों में ज्यादा फैल रही है। इसके पीछे वजह है, एक व्यक्ति के मल्टिपल सेक्स पार्टनर्स होना। उनका मानना है कि इस समुदाय के लोगों को फिलहाल मल्टिपल सेक्स पार्टनर्स बनाने से बचना चाहिए।पहले पढ़िए IMA कोविड टास्क फोर्स के को-चेयरमैन डॉ राजीव जयदेवन से बातचीत –

सवाल: मंकीपॉक्स बीमारी क्या सिर्फ किसी एक खास समुदाय में फैल रही है? इसकी वजह क्या है?

जवाब: दुनियाभर के आंकड़ों के मुताबिक ये साबित हुआ है कि मंकीपॉक्स के ज्यादातर केस गे या बाइसेक्शुअल कम्यूनिटी में ही हुए हैं। अमेरिका में मंकीपॉक्स के 99% केस इसी समुदाय से जुड़े हुए हैं। जैसे मेन हैविंग सेक्स विद मैन (MSM) की कैटेगरी से ही मंकीपॉक्स के ज्यादातर मामले जुड़े हैं। ये बीमारी जब आम परिवार के किसी सदस्य को होती है तो खुद को आइसोलेट करता है। इसमें वो दूसरों से यौन संबंध भी नहीं बनाता। इससे वायरस का प्रसार बंद हो जाता है।

सवाल: मंकीपॉक्स बीमारी किस तरह से फैलती है ?

जवाब: आम लोगों को समझना होगा कि LGBTQ समुदाय में ही ये वायरस क्यों ज्यादा फैल रहा है। मंकीपॉक्स एक धीरे फैलने वाली बीमारी है, ये आसानी से नहीं फैलती है। इसको फैलने के लिए स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट होना चाहिए। त्वचा का संपर्क भी लंबे वक्त के लिए होना चाहिए। दो व्यक्तियों की त्वचा का लंबे वक्त का संपर्क सेक्स के दौरान सबसे ज्यादा होता है। ये गे और बाइसेक्शुअल समुदाय में आम बात है। दुनियाभर में 25 हजार से ज्यादा केस आ चुके हैं, भारत में अभी तक सिर्फ 9 केस ही आए हैं, लेकिन ये भारत में भी ऐसे कई मामले हो सकते हैं, जिनका पता नहीं चल सका हो।

सवाल: गे और बाइसेक्शुल लोगों को अब किन बातों का ख्याल रखना जरूरी हो गया है?

जवाब: WHO ने भी बताया है कि गे और बाइसेक्शुअल लोगों को अपने पार्टनर्स को सीमित करना चाहिए । अगर किसी व्यक्ति की स्किन पर दाग या दाने हैं तो उससे फिजिकल संबंध तब तक ना बनाएं जब तक कि वो स्वस्थ ना हो जाए। स्ट्रेट लोगों में इसका रिस्क बहुत कम है। मंकीपॉक्स के कुछ मरीज डॉक्टर के पास आने से हिचकते हैं। कुछ लोग घर में ही इलाज करने की कोशिश करते हैं। अगर आपको चेचक जैसे दाने दिख रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाएं, हल्के में ना लें। भारत में मंकीपॉक्स के लिए PCR टेस्ट उपलब्ध हैं।

सवाल: मंकीपॉक्स बीमारी से जो समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित है, क्या उसे सावधान करने के लिए ठीक से मैसेजिंग हो रही है?

जवाब: मंकीपॉक्स को लेकर जो भी मैसेजिंग हो रही है, सबसे ज्यादा जरूरी है कि जो समुदाय इस बीमारी का सबसे ज्यादा शिकार हो रहा है उस तक प्रभावी तरीके से इस बीमारी के बारे में बताया जाए। इस समुदाय के लिए काम करने वाले NGOs, राज्य के एड्स कंट्रोल सोसाइटी, नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन इन सभी को गे और बाइसेक्शुअल समुदाय में प्रभावी मैसेज देना चाहिए। अगर मंकीपॉक्स को नहीं रोका गया तो ये दूसरे समुदायों में भी फैल सकता है।भारत में अब तक मंकीपॉक्स से जुड़े 9 केस आ चुके हैं। वहीं दिल्ली में 4 केस रिपोर्ट हुए हैं। दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश हॉस्पिटल के डायरेक्टर और नोडल ऑफिसर डॉ सुरेश कुमार मंकीपॉक्स के 4 मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इनमें से 1 मरीज स्वस्थ होकर घर लौट चुका है। हमने डॉ सुरेश से समझा कि उनके पास किस तरह के मरीज आ रहे हैं और उनका इलाज वो कैसे कर रहे हैं भारत में अब तक मंकीपॉक्स से जुड़े 9 केस आ चुके हैं। वहीं दिल्ली में 4 केस रिपोर्ट हुए हैं। दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश हॉस्पिटल के डायरेक्टर और नोडल ऑफिसर डॉ सुरेश कुमार मंकीपॉक्स के 4 मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इनमें से 1 मरीज स्वस्थ होकर घर लौट चुका है। हमने डॉ सुरेश से समझा कि उनके पास किस तरह के मरीज आ रहे हैं और उनका इलाज वो कैसे कर रहे हैं।

सवाल: मंकीपॉक्स के जिन मरीजों का आप कर रहे है उनमें किस तरह के लक्षण दिखे ?

 

जवाब: मरीजों को बुखार रहा है। 5-7 दिन तक मरीजों को पूरे शरीर पर चेचक के दाने की तरह उभरने लगते हैं। ये दाने चेहरे और हथेलियों पर ज्यादा होते हैं। सिर में दर्द और हाथों में जलन भी होती है। मरीज को कमजोरी के साथ मुंह में छाले होते हैं। कई केस में गुप्तांगों पर छाले हो जाते हैं, जिसकी वजह से मरीजों को बहुत दर्द होता है। इसके लिए हम मरीजों को पेन किलर देते हैं।

सवाल: पेशेंट का ट्रीटमेंट कैसे कर रहे हैं?

जवाब: हमारा एक पेशेंट ठीक हो गया। जिन पेशेंट को बुखार होता है उनको पैरासिटामॉल देते हैं। स्किन में जो रैशेज होते हैं उनको ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक लोशन, एंटी एलर्जिक दवाएं देनी होती हैं। अल्सर को ठीक करने के लिए जिंक, विटामिन और सपोर्टिव ट्रीटमेंट देते हैं।इसके साथ-साथ मरीजों की काउंसलिंग करना काफी जरूरी होता है। जैसे ही मरीज को पता चलता है कि उसे मंकीपॉक्स हुआ है तो उसे डिप्रेशन होने लगता है। इसलिए हमारी टीम दिन में दो बार साइकोलॉजिकली मोटिवेशन भी देती है। हम उनको बताते हैं कि हमारा एक पेशेंट ठीक होकर घर चला गया, इससे उनमें भी भरोसा जगाने की कोशिश करते हैं।

सवाल: आपके पास जब मरीज आता है तो आप कैसे तय करते हैं कि ये मंकीपॉक्स का मरीज हो सकता है?

 

जवाब: हमें स्किन का फोटो देखने से पता चल जाता है कि ये मंकीपॉक्स का संभावित मरीज है या नहीं। हम सिर्फ मरीजों का स्किन स्वाब लेते हैं और ब्लड टेस्ट करते हैं। पहले टेस्टिंग के लिए पुणे भेजा करते थे, लेकिन अब एम्स नई दिल्ली में ही PCR टेस्ट होने लगता है। मंकीपॉक्स में PCR टेस्ट गोल्ड स्टैंडर्ड है।

सवाल: आपके यहां जो मरीज आए हैं उनकी ट्रैवल हिस्ट्री क्या रही ?

जवाब: हमारे यहां सबसे पहला जो मरीज आया था वो हिमाचल प्रदेश गया था, लेकिन बाकी की , तीनों पेशेंट नाइजीरियन हैं। इनमें से एक 1 साल से, दूसरा 6 महीने से दिल्ली में ही रह रहा है। इनकी इंटरनेशनल ट्रैवल की कोई हिस्ट्री नहीं है ।

Rupesh Negi

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *