परिजनों के पत्रकार वार्ता करने पर चार सिपाही निलंबित किए, 4600 ग्रेड पे नहीं मिलने पर दी आंदोलन की चेतावनी, अब कांग्रेस ओर UKD ने भी सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा।
देहरादून– ग्रेड पे मामले में पुलिसकर्मियों के परिजनों के पत्रकार वार्ता करने पर चार सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया। इनमें एक सिपाही चमोली, एक उत्तरकाशी और दो देहरादून में तैनात हैं। कार्रवाई के विरोध में भी सोमवार को परिजन पुलिस मुख्यालय के बाहर आंदोलन करने के लिए पहुंचे थे, लेकिन बाद में डीजीपी अशोक कुमार के समझाने के बाद लौट गए।
रविवार को कुछ पुलिसकर्मियों के परिजन प्रेस क्लब के पास एक रेस्टोरेंट में इकट्ठा हुए और उन्होंने पत्रकार वार्ता की। उन्होंने सरकार पर वादा खिलाफी का इल्जाम लगाया और आंदोलन की चेतावनी दी थी। इसके बाद से पुलिस विभाग में खलबली मच गई।
इस पर खुफिया तंत्र भी अलर्ट हो गया और उन सिपाहियों के बारे में पता किया गया।
डीजीपी अशोक कुमार के निर्देश पर हुई कार्रवाई ।कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत कार्रवाई
सिपाहियों पर कार्रवाई आचरण नियमावली के तहत की गई है। नियमावली की धारा 5 (2) और 24 (क) में ऐसे प्रावधान हैं। इन धाराओं में व्याख्या है कि कोई पुलिसकर्मी किसी संगठन का हिस्सा नहीं बन सकता है। धारा 24 में बताया गया कि कोई भी सरकारी कर्मचारी सिवाय उचित माध्यम से और ऐसे निर्देशों के अनुसार जिन्हें राज्य सरकार समय-समय पर जारी करे, निजी रूप से या अपने परिवार के किसी सदस्य के माध्यम से सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी को कोई आवेदन नहीं करेगा।
डीजीपी अशोक कुमार के निर्देश पर चमोली पुलिस लाइन में तैनात सिपाही दिनेश चंद, एससीआरबी देहरादून में तैनात सिपाही हरेंद्र सिंह, देहरादून में ही तैनात मनोज विष्ट और एसडीआरएफ उत्तरकाशी में तैनात कुलदीप भंडारी को निलंबित कर दिया गया है। इसके बाद सभी को चेतावनी भी जारी की गई है।
पुलिस परिजनों के विभाग में कार्यरत कर्मियों को निलंबन के बाद अब विपक्षी दल कांग्रेस ने भी मोर्चा खोलते हुए सरकार से जवाब मांगा है। कांग्रेसी प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2021 में 4600 ग्रेड पे देने की घोषणा की। लेकिन चुनाव संपन्न होने के बाद अपनी घोषणा को सीएम भूल रहे है। वहीं पुलिस परिजन अपनी बात उठाने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन परिजनों के नाम पर विभाग में कार्यरत कर्मियों का निलंबन करना तर्कसंगत नहीं है। जिसके खिलाफ आवाज उठाई जायेगी।
पुलिसकर्मियों के निलंबन के खिलाफ परिजनों के समर्थन में उत्तराखंड क्रांति दल ने धरना प्रदर्शन किया। भारी बरसात के बीच उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ता पुलिसकर्मियों का निलंबन रद्द करने की मांग को लेकर गांधी पार्क पर धरने पर डटे रहे।
यूकेडी के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि एक तो सरकार लगातार पुलिस कर्मियों के ग्रेड पर को लेकर झूठ पर झूठ बोल रही है वहीं दूसरी ओर पुलिस के परिजनों द्वारा मात्र एक प्रेस वार्ता करने पर ही पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया।
यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने इसे सरकार की दमनकारी नीति बताया और ऐलान किया कि यदि निलंबन वापस नहीं लिया गया तो सरकार के खिलाफ व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार दमन करके परिजनों की जायज मांग को दबाना चाहती है। ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।
यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि सरकार ने पहले पुलिस कांस्टेबल को पहले 8 साल की संतोषजनक सेवा के बाद 4600 ग्रेड पे देने की बात कही थी, उसके बाद यह समय सीमा बढ़ाकर 10 साल कर दी गई और उसके बाद इसे फिर से बढ़ाकर 16 साल कर दिया गया, लेकिन अब ग्रेड पे देने में आनाकानी की जा रही है।
यूकेडी नेताजी शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि राज्य बनने से पहले भर्ती हुए पुलिस कांस्टेबल को जब 4600 ग्रेड पर दिया जा सकता है तो राज्य बनने के बाद भर्ती हुई पुलिस के जवानों के लिए यह नियम क्यों बदला जा रहा है ! ऐसा कतई नहीं होने दिया जाएगा।
सरकार चाहे कितना भी दमन कर ले लेकिन उत्तराखंड क्रांति दल सरकार के आगे नहीं झुकेगा।