अब प्रमाणपत्र खोने का डर खत्म, डिजिलॉकर में मिलेंगे ये 84 दस्तावेज, फर्जीवाड़े पर भी लगेगी रोक।

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देहरादून—प्रदेश के नौ विभागों की ओर से जारी होने वाले 84 अहम दस्तावेज आने वाले समय में डिजिलॉकर में मिल सकेंगे। वहीं, सभी विश्वविद्यालयों और बोर्ड के अंकतालिका व प्रमाणपत्र भी नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी (एनएडी) में मिलेंगे। इससे प्रमाणपत्र खोने का डर खत्म होगा। साथ ही फर्जीवाड़े पर भी रोक लग जाएगी।

आईटीडीए कार्यालय में डिजिलॉकर और एनएडी पर राष्ट्रीय कार्यशाला हुई। इसमें विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ ही विश्वविद्यालयों के अधिकारी भी शामिल हुए। कार्यशाला का शुभारंभ आईटीडीए के निदेशक अमित सिन्हा ने किया। इस मौके पर डिजिलॉकर के अतिरिक्त निदेशक दुर्गादास प्रसाद ने बताया कि कैसे कागजरहित सेवाएं देने के लिए डिजिलॉकर प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं।

वहीं, एनएडी के अधिकारी अक्षय चौहान ने भी जानकारी दी। प्रकाश कुमार पांडेय ने बताया कि पुरानी कागजी रिकॉर्ड की दोबारा प्राप्ति करना एक बोझिल प्रक्रिया है। साथ ही कागज के रूप में बनाए गए अकादमिक रिकॉर्ड खराब होने और जालसाजी जैसे खतरे भी आम हैं। अक्सर छात्रों के दस्तावेज चोरी हो जाते हैं या खो जाते हैं। इन्हें दोबारा बनवाने के लिए उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

84 दस्तावेज को जल्द ही डिजिलॉकर में उपलब्ध कराने की कवायद
एनएडी में पूरा डाटा आने के बाद उन्हें इससे मुक्ति मिल जाएगी। यहां दस्तावेजों का सत्यापन भी आसान हो जाएगा, जिससे फर्जी प्रमाणपत्रों पर भी रोक लग जाएगी। कार्यशाला में बताया गया कि डिजिलॉकर और एनएडी में सभी काम 24 घंटे होते हैं। यहां किसी भी समय और कहीं से भी दस्तावेज देखे जा सकते हैं। उत्तराखंड के नौ विभागों के 84 दस्तावेज को जल्द ही डिजिलॉकर में उपलब्ध कराने की कवायद भी शुरू हो चुकी है।

आईटीडीए के निदेशक अमित सिन्हा ने बताया कि इस दिशा में सभी विभागों को जागरूक किया जा रहा है। इसके तहत राजस्व विभाग के स्थायी निवास प्रमाणपत्र, चरित्र प्रमाणपत्र, हैसियत प्रमाणपत्र से लेकर पंचायतीराज विभाग, कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग, शहरी विकास निदेशालय, ऊर्जा विभाग, समाज कल्याण विभाग, मत्स्य विभाग, पेयजल विभाग और श्रम विभाग के दस्तावेज डिजिलॉकर में उपलब्ध कराए जाएंगे। कार्यशाला में आलोक तोमर, दुर्गादास प्रसाद और संबंधित विभागों के अधिकारी व विशेषज्ञ मौजूद रहे।

Rupesh Negi

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