भ्रष्टाचार की दर्ज शिकायतों में पहले नंबर पर उत्तराखंड पुलिस विभाग, जिनके ऊपर कार्यवाही की जिम्मेदारी उन्होंने ही पाया पहला नंबर,धामी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर लगा रहे पलीता।
देहरादून– उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बनाई गई हेल्पलाइन 1064 पर पिछले ढाई सालों में 7800 शिकायतें दर्ज की गई है। जिसमें सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि इन शिकायतों में सबसे ज्यादा शिकायतें पुलिस विभाग के ही खिलाफ दर्ज कराई गई है। जिसका खुलासा आर टी आई से मिली जानकारी के बाद हुआ है। हालांकि इन शिकायतों पर क्या कुछ कार्रवाई की गई है ये अभी तक साफ नहीं हो पाया है। लेकिन भ्रष्टाचार की शिकायतों में पुलिस विभाग का पहले नंबर पर होना विभाग के ही पूर्व शीर्ष अधिकारियों की भी चिंता बढ़ा रहा है। उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने करीब ढाई साल पहले 8 अप्रैल 2022 को विजिलेंस द्वारा बनाए गए हेल्पलाइन नंबर 1064 का शुभारंभ किया था। जिसका विजिलेंस ने सभी सरकारी दफ्तरों पर जनता को जागरूक करने के लिए प्रचार प्रसार भी किया और हर सरकारी दफ्तर के बाहर बोर्ड लगाए गए, जिन पर लिखा गया था कि अगर कोई भी सरकारी कर्मचारी उनसे अपने काम के ऐवज में रिश्वत की मांग करता है तो उसके खिलाफ 1064 पर शिकायत दर्ज कराएं। वहीं अब आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार इस हेल्पलाइन नंबर पर पिछले 30 महीनों में भ्रष्टाचार से संबंधित 7800 शिकायतें दर्ज हुई। जिसमें सबसे ज्यादा शिकायत उसी पुलिस विभाग पर दर्ज हैं जिस पर भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का जिम्मा है। आईटीआई से मिली जानकारी के अनुसार पिछले ढाई साल में राज्य पुलिस विभाग के खिलाफ भ्रष्टाचार की 909 शिकायतें दर्ज हैं। जबकि पुलिस विभाग के बाद राजस्व विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, पेयजल विभाग, लोक निर्माण विभाग, शहरी विकास विभाग के साथ उन सभी सरकारी विभागों के खिलाफ शिकायतें दर्ज हैं जिनका जनता के साथ सीधा सरोकार है। लेकिन बड़ी बात यह है कि यह भ्रष्टाचार की घटनाएं कैसे कम होगी क्योंकि जिस पुलिस विभाग के कंधों पर भ्रष्टाचार को रोकने की जिम्मेदारी है वह इस सूची में सबसे ऊपर है।
वही RTI में हुए खुलासे के बाद पूर्व डीजीपी अशोक कुमार ने इसे काफी गंभीर मामला बताया है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए पुलिस विभाग है, लेकिन उसी पुलिस विभाग पर ही भ्रष्टाचार के सबसे ज्यादा आरोप लग रहे हैं तो यह मुद्दा काफी गंभीर हो जाता है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए पुलिस विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। जिससे इस पर लगाम लग सके।
धामी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है। जिसका नतीजा है कि भ्रष्टाचार करने वाले कई सरकारी अधिकारी कर्मचारी सलाखों के पीछे है। लेकिन RTI से मिली जानकारी भी चौंकाने वाली है। जिसमें खुद पुलिस विभाग ही भ्रष्टाचार की शिकायतों में नंबर वन है।