पलटन बाजार में कपड़ो की दूकान में लगाई आग, लाखों का सामान राख, cctv में हुआ कैद।
देहरादून– पल्टन बाजार में नगर कोतवाली से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित ओमजी गारमेंट्स शोरूम में किसी अज्ञात दो पहिया वाहन सवार ने ज्वलनशील पदार्थ डाल कर आग लगा दी। भीषण अग्निकांड के चलते दो मंजिला तीन दुकानों में रखा लाखों रुपये कीमत का सारा सामान जल कर खाक हो गया। बुधवार रात करीब एक बजे घटना को अंजाम दिया गया। दुकान में रखी नकदी भी जल गई। करीब चार घंटे की मशक्कत के बाद 10 अग्निशमन वाहनों की मदद से फायर सर्विस कर्मियों ने आग पर काबू पाया। जब तक आग पर काबू पाया जा सका, तब तक तीन मंजिला दो दुकानें पूरी तरह से जल चुकी थी। पल्टन बाजार के बीचोबीच सीएनआई स्कूल के सामने और पल्टन बाजार मस्जिद से सटी प्रसिद्ध ओमजी गारमेंट्स शोरूम में रात करीब एक बजे भीषण आग लग गई। ओमजी गार्मेंट्स के मालिक नवनीत राजवंशी के मुताबिक, घटना की जानकारी पास से गुजर रहे एक कार चालक ने दुकान के बोर्ड पर लिख्खा नंबर पढ़कर 1.10 बजे दी। कार से पानी निकालकर कार चालक ने आग बुझाने का भी प्रयास किया। लेकिन, कुछ ही मिनट में आग के विकराल रूप ले लिया।
सुबह तक माना जा रहा था कि आग शॉर्ट सर्किट या किसी अन्य वजह से लगी होगी। जांच चल ही रही थी कि घटना ने नया मोड़ ले लिया। सीसीटीवी कैमरे चेक करने पर देखा गया कि एक व्यक्ति सफेद रंग के दो पहिया वाहन पर आया। डिग्गी खोली और उसमे से बोतल निकली। सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में दिख रहा है कि आरोपी दुकान के आगे रुका। साथ लाई बोतल से कोई ज्वलनशील पदार्थ दुकान के शटर के अंदर फेका। माचिस की जलती तीली दुकान में शटर के नीचे से फेंकी। आग लगाने के बाद वह फरार हो गया।
दुकान तिराहे पर स्थित है। दुकान को अलग-अलग हिस्सों में बांट कर एक हिस्सा किराये पर भी दिया गया है। उसमे तीन छोटे बड़े शटर लगे हुए है। सबसे कोने पर लगे छोटे शटर के लॉक वाली साइड से ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगाई गई। दुकान के जिस हिस्से को किराये पर दिया हुआ था. उसमें लेडीज चप्पल और रेडीमेड का काम किया जा रहा था।
इस दुकान का अपना इतिहास है। करीब 90 साल पहले 1934 में ओमजी स्वीट्स के नाम से दुकान खोली गई थी। शहर में मशहूर दुकानों में से ये दुकान एक रहीं। करीब 1990 के आस पास हलवाई काम बंद कर ऊन (दूलन्स) का काम शुरू किया। 1993 में इस दुकान में भीषण आग लगी थी। इसके बाद करीब 15 साल पहले दुकान का काम फिर से बदला गया और रेडिमेड गार्मेंट्स का काम शुरू किया गया। कुछ समय के बाद दुकान को तीन हिस्से में बंट कर एक हिस्से को किराए पर दिया गया था।
दुकान मालिक नवनीत राजवंशी का कहना है कि दुकान के सामान और बिल्डिंग का पूर्व में इश्योरेंस कराया गया था। कुछ माह पहले ही इंश्योरेंस सीमा खत्म हो गई थी। किन्ही कारणों के चलते इंश्योरेंस नहीं करा सके थे।