रामचरितमानस विवाद के बाद अब इस नेता ने बदरीनाथ धाम पर खड़े किए सवाल, सियासी हलचल तेज़।
देहरादून– रामचरित मानस विवाद के बाद साधु संतों पर आपत्तिजनक बयान देने वाले सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने अब उत्तराखंड के पवित्र धार्मिक स्थल बदरीनाथ धाम को लेकर विवादित बयान दिया। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि बद्रीनाथ 8वीं सदी तक बौद्ध धर्म स्थल था और बौद्ध धार्मिक स्थल खत्म करके बद्रीनाथ मंदिर बनाया गया है। उनके इस बयान से अब सियासी हलचल तेज हो गई है। स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी के महासचिव पद पर है।
सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पर बयान जारी करते हुऐ समाजवादी पार्टी पर भी निशाना साधा। मुख्यमंत्री धामी ने स्वामी प्रसाद पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बयान देने से पहले उन्हें सोचना चाहिए।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि बदरीनाथ धाम दुनिया भर के लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र है और सवामी प्रसाद मौर्य द्वारा दिया गया बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि वह जिस गठबंधन का हिस्सा हैं, उनके लिए ऐसे बयान देना स्वाभाविक है। जो लोग तुष्टिकरण में विश्वास करते हैं और लोगों को बांटने का काम करते हैं, कम से कम स्वामी प्रसाद मौर्य को ऐसे बयान देने से पहले ध्यान देना चाहिए कि उनके नाम के आगे स्वामी है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन के एक सदस्य के रूप में समाजवादी पार्टी के एक नेता की ओर से दिया गया यह बयान कांग्रेस और उसके सहयोगियों की देश व धर्म विरोधी सोच को दर्शाता है। समाजवादी पार्टी के सर्वोच्च नेता की पत्नी डिंपल यादव जो उत्तराखण्ड की बेटी हैं, मैं चाहूंगा कि वे ऐसी विघटनकारी सोच रखने वाले अपनी पार्टी के नेता को अवश्य जवाब दें। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बदरीनाथ पर दिए बयान के बाद से साधु-संतों में रोष है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए भूमापीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ ने कहा कि यह मौर्य का अल्प ज्ञान है। विष्णु पुराण में उल्लेख है कि बदरीनाथ धाम नर-नारायण का स्थान है। महाभारत में भी इसका उल्लेख है। इससे साबित होता है कि सनातन काल से ही यह स्थान हिंदू धर्मस्थल रहा है। बदरिकाश्रम क्षेत्र में अन्य किसी का प्रवेश वर्जित रहा है, ऐसे में उसे बौद्ध धर्मस्थल बताना सरासर गलत है।
श्रीपंचायती अखाड़ा निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि अपनी दल-बदलू और मौकापरस्त नीति के कारण मौर्य राजनीति में हाशिए पर पहुंच चुके हैं। इसलिए स्वयं को चर्चा में लाने के लिए वह यह सब कर रहे हैं। उनकी बेसिर-पैर की बातों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।