हल्द्वानी हिंसा का मास्टरमाइंड दिल्ली में हुआ गिरफ्तार, अब्दुल मलिक की हल्द्वानी दंगे के मामले में थी तलाश।

हल्द्वानी हिंसा का मास्टरमाइंड दिल्ली में हुआ गिरफ्तार, अब्दुल मलिक की हल्द्वानी दंगे के मामले में थी तलाश।
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देहरादून/हल्द्वानी– हल्द्वानी हिंसा का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रहलाद नारायण मीणा ने प्रेस वार्ता करते हुए बताया कि बनभूलपुरा हिंसा के 16 दिन बाद पुलिस ने इस हिंसा के मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक को गिरफ्तार किया है। पुलिस की कई टीम में हिंसा के अगले दिन से ही इस मास्टरमाइंड की तलाश कर रही थी।

बता दे कि आज अब्दुल मलिक ने अपने एक वकील के जरिए हल्द्वानी के सेशन कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है, अब्दुल मलिक ने सेशन कोर्ट में एंटीसिपेटरी बेल यानी अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की है जिसमें उसने गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की है। लेकिन इधर पुलिस ने उसे दबोच लिया।

हल्द्वानी हिंसा के मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक की तलाश विगत 8 फरवरी से चल रही थी। अब वह पुलिस के हाथ लग गया है। उत्तराखंड पुलिस की कई टीम उसकी तलाश में थी। दिल्ली में लोकेशन मिलने के बाद अब्दुल मलिक को उत्तराखंड पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बनभूलपुरा में 8 फरवरी को हुए बवाल का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक बनाया गया है। हिंसा के दौरान कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। वही मीडियाकर्मी, नगर निगम और पुलिस पर पथराव किया गया और बनभूलपुरा थाने को आग के हवाले कर दिया था।इसी आधार पर पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई चल रही है। नगर निगम और प्रशासन की ओर से जिस स्थान से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई। वह जगह अब्दुल मलिक के ही कब्जे में थी। पथराव और आगजनी में नगर निगम की 2.44 करोड़ रुपये की संपत्ति के नुकसान का आकलन किया गया है।

हल्द्वानी हिंसा का मास्टरमाइंड दिल्ली में हुआ गिरफ्तार!

उत्तराखंड पुलिस ने अब्दुल मलिक को दिल्ली से दबोचा!

अब्दुल मलिक को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को 50 हजार का इनाम देने की घोषणा। डीजीपी अभिनव कुमार ने की घोषणा।

बनभूलपुरा हिंसा और उपद्रव की घटना में नामजद अब्दुल मलिक को नैनीताल पुलिस ने नई दिल्ली से गिरफ्तार किया है। डीजीपी अभिनव कुमार ने पुलिस टीम को 50 हजार के ईनाम की घोषणा की है। साथ ही बताया कि आज दो और भी उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है। अब तक कुल 81 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

 

 

 

बनभूलपुरा हिंसा के मोस्ट वांटेड अब्दुल मलिक को 17वें दिन शनिवार को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया है। उसके साथ तीन और लोग भी पकड़े गए हैं। मामले में अब तक 78 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। अब्दुल मलिक का बेटा बांटेड अब्दुल मोईद फरार है। पुलिस ने हिंसा के मामले में अब्दुल मलिक और उसकी पत्नी सहित छह लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी करने और आपराधिक साजिश रचने का एक नया मामला दर्ज किया था।

घटनाक्रम के मुताबिक आठ फरवरी को हल्द्वानी के मलिक के बगीचा में अवैध रूप से बने मदरसा और कथित नमाज स्थल को डहाने के दौरान स्थानीय लोगों ने उपद्रव मचाते हुए हिंसा और आगजनी की गई थी। इसमें नगर निगम और पुलिस-प्रशासन के कई कर्मचारियों समेत पत्रकार भी घायल हो गए थे। हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक को माना गया था। तब से पुलिस उसकी तलाश में थी।

शनिवार को यहां एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने प्रेस वार्ता में बताया कि आठ फरवरी की घटना के बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए छह टीमें बनाई गई थीं। टीमों ने घटनास्थलों के आसपास के सीसीटीवी फुटेज और साक्ष्यों के आधार पर दबिश देकर 78 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से अवैध हथियार व कारतूस बरामद किए हैं। इस मामले में वांछित अभियुक्त मोस्टवांटेड अब्दुल मलिक और उसका बेटा अब्दुल मोईद की गिरफ्तारी के लिए छह पुलिस टीमें गठित की गई थी, जो पहले पश्चिमी यूपी और दिल्ली में अब्दुल मलिक को पकड़ने के लिए दबिश दे रही थीं।

मृत को जिंदा दिखा लगाई थी याचिका

हल्द्वानी हिंसा के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक और उसकी पत्नी सफिया के खिलाफ थाना कोतवाली में मरे हुवे व्यक्ति को जिंदा दिखा कर सरकारी जमीन हड़पने की कोशिश का मुकदमा भी नगर निगम कि ओर से दर्ज कराया गया है। हल्द्वानी नगर निगम के आयुक्त पंकज उपाध्याय के मुताबिक़ हाईकोर्ट में दायर एक याचिका का जवाब तैयार करते समय पता चला कि सन 1988 में नबी रजा खां की मौत हो गई थी। सरकारी नियंत्रण वाली इस जमीन को मृतक के नाम से फ्री होल्ड कराने का आवेदन दिया गया था। साथ ही सन 2007 में इस जमीन के संबंध में 19 साल पहले मर चुके नबी रजा खां के नाम पर झूठे शपथ पत्र लगा कर याचिका भी दायर की गई। जबकि 1991 में नबी रजा खां की पत्नी सईदा बेगम खां, पुत्र सलीम रजा खां और अख्तरी बेगम ने हल्द्वानी के पालिका अध्यक्ष को शपथ पत्र देकर बताया था कि नबी रजा खां की मौत 1988 में हो गईं थी। इसके बाद भी अख्तरी बेगम और नबी रजा खां के नाम से याचिका दायर की गई।

Rupesh Negi

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